Do only toppers become successful in life ? (क्या केवल टॉपर ही जीवन में सफल हो पाते हैं?)
क्या केवल टॉपर ही जीवन में सफल हो पाते है
हम सब इस माइंडसेट के साथ स्कूल जाते है के हम अच्छे मार्क्स ले आये और हमें अच्छी डिग्री और अच्छे सर्टिफिकेट मिल सके जिस से हमें अच्छी जॉब मिल सके और उस से हम इतना कमा सके के हमारा घर चल सके। जयदा से ज्यादा लोन पर एक कार ले ले और आधी ज़िंदगी के इंस्टॉलमेंट पर घर।
और जो काफी मेहनत करके टॉप करते है वो किसी ऐसे इंसान की कंपनी में जॉब करते हुए नजर आते है जो कभी अच्छे मार्क्स ना ला सका।
और ऐसा क्यों ?
इसका सबसे बड़ा रीज़न है हमारा एजुकेशन सिस्टम।
जिसका मकसद सिर्फ हमें नौकरी दिलवाना है। कुछ थिंकर्स तो ये तक केहते है के एजुकेशन सिस्टम अमीरो ने इस तरह से डिज़ाइन किया है के यहाँ से उन्हें उनके बिज़नेस के लिए एम्प्लॉय मिलते रहे।
तो आज में आपको बताऊंगा टॉप फाइव रीज़न के क्यों एवरेज स्टूडेंट लाइफ में काफी आगे चले जाते है जब की टॉपर मेहनत करते हुए रह जाते है और यहाँ पर में आपको ये भी बता दू के ये बाते सभी टॉपर या सभी एवरेज स्टुडेंट्स पर लागु नहीं होती लेकिन ज्यादातर केस में यही होता है।
आप अपनी कोई भी राय बनाने से पेहले इस आर्टिकल में मेने एक रियल लाइफ स्टोरी बताय है वो जरूर पढ़ लेना।
तो चलिए स्टार्ट करते है।
नंबर एक :-
टोपर कभी एजुकेशन की वेलिडिटी पर सवाल नहीं उठाते। टॉपर्स दुसरो को हमेशा एजुकेशन सिस्टम के पुराने मेथड से जज करते है बिना दुसरो के टैलेंट और स्किल्स को समजे ये सिर्फ एजुकेशन सिस्टम में ही भरोसा करते है इन्हे लगता की सिखने का दूसरा कोई तरीका है ही नहीं इनके हिसाब आप अच्छे मार्क्स लाते हो तो आप टैलेंटेड हो अन्यथा आपके पास चाहे कितनी भी स्किल्स हो कोई भी टैलेंट हो अगर आपके मार्क्स काम है तो उनके हिसाब से आप टैलेंटेड नहीं हो।
दूसरी तरफ जो एवरेज स्टूडेंट होते है वो ये मानते है की इतने साल पुराने एजुकेशन सिस्टम के आलावा भी स्किल्स और टैलेंट डेवलप करने के कई तरीके है इसी लिए ये लोग एजुकेशन सिस्टम के बहार भी नयी चीज़े सिखने के लिए तत्पर रहते है और सीखते भी है।
ये एक बहोत बड़ा रीज़न है एवरेज स्टूडेंट का टॉपर्स से ज्यादा कामयाब होने का।
नंबर दो :-
ये पॉइंट सायद हमेशा टॉप करने के बारे में सोचने वाले लोगो को बुरा लग सकता है। वो ये है टॉपर्स फेलियर से डरते है। हम में से ज्यादातर लोगो के दिमाग में बचपन से ये बिठाया जाता है के फ़ैल होना अच्छी बात नहीं है। स्कूल में जब कोई स्टूडेंट फ़ैल होता है तो उसे एक साल और सेम क्लास में बिठाया है ताकि वो इस पुराने एजुकेशन सिस्टम के हिसाब से अपनी इंटेलिजेंस प्रूव कर सके तो जो टॉपर होते है ये बात उनके दिमाग में बहोत गेहराय से बेथ जाती है के फ़ैल होना एक बहोत बुरी चीज़ है और टॉप करना बहोत ज़रूरी है और जब वो बड़े होते है तब वो कॉलेज में अच्छे ग्रेड्स लाने के लिए वो काफी मेहनत करते है याने रट्टा मारते है।
और दूसरी तरफ एवरेज स्टूडेंट्स फेलियर से डरते नहीं है इन्हे पता होता है की फेलियर भी सक्सेस का एक पार्ट है वो गलतिया करने से डरते नहीं है क्यों की इन्हे टॉप करने में कोई दिलचस्पी नहीं होती इसी लिए ये अपना फोकस स्किल्स लर्निंग पर रखते है
नंबर तीन :-
टॉपर्स अपने से बेहतर लोगो को हमेशा खुस करने की कोशिस करते है टॉपर्स अपना काफी टाइम और एनर्जी लगाते है अपने से बेहतर लोगो को खुस करने में इसे आप चापलुसी भी कह सकते है क्यों की वो चाहते है के उनका बोस उन्हें फेलियर ना समजे और वो ऑफिस में भी टॉप बने मतलब के बोस के भी प्यारे बने रहे।
जब की एवरेज स्टूडेंट अपना रास्ता खुद बनाना जानते है ये लोग चापलूसी में बिलकुल ट्रस्ट नहीं करते है बल्कि अगर कोई इनकी तारीफ करता है तो ये लोग फरक करना जानते है के तारीफ सच्ची है या जूठी।
नंबर चार :-
एवरेज स्टूडेंट जब भी कोई काम करते है तो उनका ऐटिटूड होता है की काम को फिनिश करो रिजल्ट लो और आगे बढ़ो ये मानते है के हर काम में पर्फेक्शन के पीछे भागेंगे तो काम पूरा नहीं हो पाएगा इसी लिए वो गलतिया करते है गलतियों से सीखते है और गलतिया सुधारते है इसी लिए वो आगे बढ़ जाते है
जब की टॉपर्स मानते है के कामयाबी पाने के लिए हर चीज़ का पर्फेक्ट होना बहोत जरुरी है इसी लिए वो काम को टाल ते रेह्ते है और एक परफेक्ट मूवमेंट का इंतज़ार करते रहते है
अगर आप घर के निकल ने से पहले ये सोचोगे के ट्राफिक के हर सिग्नल पर ग्रीन लाइट होगी तभी आप घर से निकलोगे तो आप कभी भी घर से नहीं निकल पाओगे।
नंबर पांच :-
टॉपर्स का पूरा फोकस सिर्फ टॉप करने पर होता है जब की एवरेज स्टूडेंट टॉप करने के लिए नहीं बल्कि सिखने के लिए पढ़ते है इनका फोकस लर्निंग पर होता है ना के रट्टा मारने पर
3 Idiots में बहोत फेमस डायलॉग था के। ....
कामयाब होने के लिए नहीं काबिल होने के लिए पढ़ो
एवरेज स्टूडेंट का फोकस पुराने एजुकेशन सिस्टम में टॉप करने पर होता ही नहीं इसी लिए वो रट्टा मारने में टाइम वेस्ट नहीं करते बल्कि इन्हे जो काम पसंद होता है ये उसके बारे में सीखते है उसके बारे में पढ़ते है इस से रिलेटेड लोगो से मिलते है
अब में आपको वो रियल स्टोरी सुनाता हु जो मेने आपको स्टार्टिंग में कहा था।
एक बेवकूफ सा बच्चा था एक बार उसके टीचर ने उस बच्चे की माँ को बुलाकर कहा आपका बच्चा कभी भी पढ़ नहीं सकता इसे कुछ समज नहीं आता और ये कुछ नहीं कर सकता टीचर ने उस बच्चे के माँ की काफी इंसल्टिंग की और कहा के आप इसे ले जाओ और कुछ काम करवाओ पढ़ना इसके बस की बात नहीं है बाद में उसकी माँ ने उस बच्चे को स्कूल से निकाल लिया वो बच्चा सिर्फ तीन महीने ही स्कूल गया था उसके बाद वो अपनी ज़िंदगी में कभी भी स्कूल नहीं गया
एजुकेशन सिस्टम के हिसाब से वो बचा बेवकूफ था और कुछ नहीं कर सकता था
और उस बच्चे काम नाम था
थॉमस एल्वा एडिसन
इस बेवकूफ बच्चे ने इतिहास में सबसे ज्यादा इनोवेशन किये है सिर्फ तीन महीने स्कूल गए हुए बच्चे ने GE नाम की कंपनी बनाय जहा आज दुनिया भरके टोपर वह नौकरी करते है एक बात याद रखना जब तक एजुकेशन का बुनियादी मकसद नौकरी पाना होगा तब तक समाज में नौकर ही पैदा होंगे मालिक नहीं अगर आप मुझसे अग्रि करते हो तो आप इसे शेयर करे ज्यादा से ज्यादा।
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